काव्य नंदिनी नवगीत माला संग्रह





 भूमिका 

********************

वीणा कुमारी 'नंदिनी' जी की प्रथम एकल संग्रह 'काव्य नंदिनी' उनके अथक प्रयास और कटिबद्धता का परिणाम है । छंदमुक्त लेखन शैली से हटकर उन्होंने अपने इस संग्रह में न केवल शिल्प का ध्यान रखा है बल्कि अपने अनुभवों को भावनात्मक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने का प्रयास भी किया है । अनेक रसों को स्वयं में समेटे यह आकर्षक संग्रह अनेक समसामयिक विषयों की ओर पाठकों का लक्ष्य केन्द्रित करने का सफल प्रयास करता है ।

मानवीय भावनाओं से अंकुरित यह काव्य वाटिका पाठकों के लिए किसी उपहार से कम नहीं ।सरल सपाट भाषा का प्रयोग करने के स्थान पर उनके घुमावदार कथन इस संग्रह की विशेषता कहे जा सकते हैं । कवयित्री की लेखन शैली स्वयं ही उनका परिचय देती है । प्रतीकात्मक शैली का विस्तृत प्रयोग तथा बिम्बो का सुनियोजन उनके कथन को गूढता प्रदान करता है।  


हिंदी भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ है एवं निरन्तर छंदों के अभ्यास के कारण उनकी रचनाओं में  जिसकी छटा सर्वदा ही दिखती है ।

लावणी छंद पर आधारित उनकी रचनाएं विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करती है।  रचनाओं में शिल्प तथा भाव का संतुलन बहुत ही प्रभावी है जो इससे आकर्षक लयात्मकता प्रदान करता है ‌।

बंधन बंधे डोर सभा में /पैजनिया भी नाच रही/ बेल का नवजात कोंपल / सृष्टि के परखे नजारे जैसी पंक्तियां प्रमाणित करती है कि मानवीकरण जैसे अलंकारों सटीक प्रयोग करने में कवयित्री सक्षम हैं ।

आकर्षक उपमाएं , मनभावन बिम्ब और अलंकारों का प्रयोग रचनाओं को सामान्य से विशेष बनाते हैं यह सभी कलमकार भली-भांति जानते हैं परन्तु उसे लेखनी में उतारना कठिन है पर यह कठिन कार्य भी कवयित्री ने सरलता से कर दिखाया है । शब्द चयन करते हुए भी कवयित्री ने विशेष ध्यान रखा है जो प्रथम दृष्टि में ही पाठक को रचना की ओर आकर्षित करता है । हिंदी क्षेत्र के होने के कारण उनकी यह रचना  अद्भुत रचनाओं का आकर्षक संग्रह माना जा सकता है ।

मूर्छित कानन ,विवश पक्षी, मौन पातक , फाल्गुनी बयार ,विरह व्यथा ,मौन लेखनी जैसी रचनाएं जहां करुण रस में पगी हुईं हैं वहीं कवयित्री के प्रकृति प्रेम को भी दर्शाती है। ऐसा लगता है जैसे उनकी लेखनी के माध्यम से यह सकल सृष्टि बोल पङी हो । कंकङ की पीर से लेकर अम्बर की हर्ष तक कि हर अनुभूति किसी न किसी रचना में प्रत्यक्ष व्यक्त है । मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति पाठक को सदा ही भाती

रही है पर उसमें लगा प्रकृति का तङका  कवयित्री को असाधारण लेखनी की धनी प्रमाणित करता है ।मुख पृष्ठ से लेकर संग्रह का आकार ,उसकी गुणवत्ता सबकुछ प्रशंसनीय है जिसके लिए विज्ञात प्रकाशन की जितनी सराहना की जाय कम है ।

कठिन परिश्रम से बना यह संग्रह अपार सफलता प्राप्त कर पाठक वर्ग के मन में अपनी अमिट छाप छोड़े इन्हीं शुभकामनाओं के साथ पाठक वर्ग से निवेदन भी करना चाहूंगी की वो उनका उत्साहवर्धन कर अग्रिम संग्रह के लिए उन्हें प्रेरित अवश्य करें ।उनका यह प्रयास मील का पत्थर साबित हो और लेखनी निरन्तर चलतीं रहे इन्हीं शुभकामनाओं के साथ मैं अपनी लेखनी को विराम देती हूं ।


नीतू ठाकुर 'विदूषी'

मीडिया प्रभारी (कलम की सुगंध)

संचालक (विज्ञात नवगीत माला)



जमशेदपुर में लोकार्पण समारोह की तस्वीर




कवयित्री वीणा कुमारी 'नंदिनी'


Comments